tag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post343986933047294768..comments2024-03-26T12:45:34.719+05:30Comments on मैनें आहुति बनकर देखा..: तनहाई के राजदार...3कार्तिकेय मिश्र (Kartikeya Mishra)http://www.blogger.com/profile/03965888144554423390noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post-36172625711155622432009-12-24T22:58:38.814+05:302009-12-24T22:58:38.814+05:30परिचय में आपने लिखा है ; '' .... आगे देखते...परिचय में आपने लिखा है ; '' .... आगे देखते हैं क्या बदा है ..''<br />पकड़ लिए गए आप इसी में ,<br />पकड़ ? / ! / .... इसका जवाब भविष्य की कोख में ....<br />कविता पर यही कहूँगा की इतनी 'इमानदारी' भी इसी उम्र <br />और ऐसे ही व्यक्ति में हो सकती है ...Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post-35118161777392503542009-12-23T20:29:15.147+05:302009-12-23T20:29:15.147+05:30जय हो। आगे से पीछे आये लिंक देखने अब उधर ही जा रहे...जय हो। आगे से पीछे आये लिंक देखने अब उधर ही जा रहे हैं। देखते हैं वहां क्या गुल खिलाये हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post-51773961911210010722008-11-13T14:04:00.000+05:302008-11-13T14:04:00.000+05:30शायद सपनों जैसे ही थे वे दिनजब रोज-ऐ-अव्वल से कब्र...शायद सपनों जैसे ही थे वे दिन<BR/>जब रोज-ऐ-अव्वल से कब्र में सोया वह परिंदा<BR/>निकल आया था अपनी ताबूत से,<BR/>और देखा था उसने-<BR/>बाहर लरजाँ बहार का मौसम,<BR/>अमरित में नहाया चाँद,<BR/><BR/>बहुत सुंदर लगी यह पंक्तियाँ ....लिखते अच्छा है आपरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post-54045971212529750272008-11-09T22:39:00.000+05:302008-11-09T22:39:00.000+05:30और बिना सोचे समझे थाम लिया था मैंने उसेहाथ थामने क...<I>और बिना सोचे समझे थाम लिया था मैंने उसे</I><BR/><BR/>हाथ थामने के बाद क्या हुआ पार्टनर...? :)<BR/>अच्छी कविता। जमाए रहो जी...।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post-88609160818370887632008-11-09T19:19:00.000+05:302008-11-09T19:19:00.000+05:30सिद्धार्थजी के ब्लॉग से यहां आया। और, लगता है कि अ...सिद्धार्थजी के ब्लॉग से यहां आया। और, लगता है कि अभी काफी रंग दिखेंगे गद्य-पद्य- हर तरीके के। बढ़िया है।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post-12565659489794839122008-11-09T14:31:00.000+05:302008-11-09T14:31:00.000+05:30उम्दा लेखनक्यूंकि एक अनजान राह की जानिब से सदा आई ...उम्दा लेखन<BR/><BR/>क्यूंकि एक अनजान राह की जानिब से सदा आई थी <BR/>और <BR/>दूर उफक पर कोई शमअ झिलमिला उठा थी।दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post-51261934213017298352008-11-09T10:52:00.000+05:302008-11-09T10:52:00.000+05:30इस नए ब्लाग के साथ ही आपका भी हिन्दी चिटठाजगत मे...इस नए ब्लाग के साथ ही आपका भी हिन्दी चिटठाजगत में स्वागत है। आशा ही नहीं , पूर्ण विश्वास है कि आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठाजगत को मजबूती देंगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post-8954588495940396452008-11-08T22:34:00.000+05:302008-11-08T22:34:00.000+05:30बहुत बढ़िया लिखे हो... अब आना तो पड़ेगा ही :-) सपने...बहुत बढ़िया लिखे हो... अब आना तो पड़ेगा ही :-) सपनें तो 'देखते हैं सब इन्हें अपनी उमर अपने समय में.'Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post-5091370799905910742008-11-08T21:53:00.000+05:302008-11-08T21:53:00.000+05:30ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ...ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...<BR/>---<BR/>आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.<BR/>---<BR/>अमित के. सागर<BR/>(उल्टा तीर)Amit K Sagarhttps://www.blogger.com/profile/15327916625569849443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3438070479130677781.post-3558923037558358092008-11-07T23:24:00.000+05:302008-11-07T23:24:00.000+05:30आपके चिट्ठे का पता मिलते ही आया था यहां मगर उस समय...आपके चिट्ठे का पता मिलते ही आया था यहां मगर उस समय ऑफिस जाने कि हड़बड़ी में कुछ लिख नहीं पाया और ना ही कुछ ठीक से पढ़ पाया.. मगर एक नेक काम जरूर कर लिया था कि आपके चिट्ठे को अपने ब्लौग रॉल में जोड़ लिया था.. अभी जैसे ही आपके नये पोस्ट को अपने ब्लौग पर देखा वैसे ही यहां भाग आया और एक बार में ही सारे पोस्ट पढ़ डाले.. जब पहली बार आया तो मुझे यह अहसास हुआ जैसे प्रशान्त ही कोई और चेहरा बना कर कुछ अलग शब्दों का ताना बाना बुन रहा है.. बहुत बढिया..<BR/>बधाई.. बस इस महफिल में बने रहें..<BR/><BR/>चलते चलते आपको आपके पिछले पोस्ट के कुछ प्रश्नों का उत्तर भी देता चलूं.. ठेलना प्योर ज्ञान जी द्वारा निर्मित शब्द है ब्लौगिंग में, जिसे अनूप जी और ज्ञान जी अक्सर प्रयोग में लाते हैं.. वैसे वह प्रशंसा ही था.. :)<BR/><BR/>और दूसरी बात, राज जी से कॉमिक क्या मांगना अजी मांगना ही है तो हमसे मांगिये.. हम एक कॉमिक कम्यूनिटी चिट्ठा भी चलाते हैं.. आप चाहे तो उसके मेम्बर भी बन सकते हैं.. उसका पता है - <A HREF="http://comics-diwane.blogspot.com/" REL="nofollow">http://comics-diwane.blogspot.com/</A> :)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.com